Dr. Pradeep Kumwat

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Monday, 12 January 2015

पुस्तक ज्ञान का चिर स्थायी भण्डार

भारतीय संस्कृति पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्षनी
पुस्तक ज्ञान का चिर स्थायी भण्डार
उदयपुर 23 सितम्बर। पुस्तकें ज्ञान का चिर स्थायी भण्डार है और बुरे वक्त की सबसे अच्छी मित्र और अच्छे वक्त की सच्ची मार्गदर्षक है। उक्त विचार आज यहाँ आलोक सी. सै. स्कूल, हिरण मगरी सेक्टर-11 में भारतीय संस्कृति पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्षनी के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुये षिक्षाविद् डाॅ. प्रदीप कुमावत ने कहे।
    प्रदर्षनी का उद्घाटन आलोक संस्थान के निदेषक डाॅ. प्रदीप कुमावत ने किया। साथ ही उप प्राचार्य षषांक टांक, रेणुकला व्यास भी उपस्थित थे।
डाॅ. प्रदीप कुमावत ने कहा कि पुस्तकालय में भारतीय संस्कृति से सम्बंधित सभी प्रकार की पुस्तकों होनी चाहिये। हमारे प्रधानमंत्री जी ने भी कहा कि पुस्तके हमेषा पढ़ते रहना चाहिये। इनका उपयोग ऐसे आयोजनों से  बढ़े यहीं कामना है।
इस अवसर पर अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया व उन्होंने भी इस प्रदर्षनी को सराहा।

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