Dr. Pradeep Kumwat

Dr. Pradeep Kumwat

Friday, 31 January 2014

Thursday, 30 January 2014

Today Morning SMS

Lakshya tak Pahuchna Sukhad hai
Kintu lakshya tak ki gai yatra hi
Sarwadhik Mahatvpurn hai jo Aapko 
Anubhavo se bhar deti Hai.
|| Enjoy the Journey not destination only.... The Journey called LIFE ||

SMS of the Evening

|| Shaam Ke Suraj ko Salaam
Jaati Kiran ke Ahsaas ko Salaam
Yuhi Doud dhoop me
Uljhi Zindgi
Bikhri yaado ko Salaam
Kaha koi Suraj dooba
fir na aane ko
Jaati hui us rooh ko salaam
Sajde me Zhuke sar Sada
Na Zhuk ka bhi Rahe Ibadat me
Us Dil ko Salaam
Aao kuch deirus raah pe moun
Beth Jaye
Jaha Antim Bol tha hey Ram
Usi Mahan Aatma
Gandhi Ko Salaam ||

Wednesday, 29 January 2014

Thrusdey SMS Quote [Vyakti Ka Charitra]

Vyakti ka Charitra or Kuch Nahi
Uske Vicharo ka Vistaar Mantra Hai....
So Vichar Sahi to Hum Sahi.

|| Jai Shree Krishna ||



Tuesday, 28 January 2014

Daily SMS Quote [SUKH DUKH]

 
SUKH DUKH samey Kritwa, 
Hani Labho Jaya Jayo, 
Mahaan Wahi hai jo SUKH me 
DUKH me hani labh me Samman Bhav se 
Sweekar Karta hai, 
Yahi Shrest Manvia gun bhi hai.


Monday, 27 January 2014

Swarg Ki Sahitiyik Yatra [Editorial ]

डॉ. प्रदीप कुमावत
मैं रोटेरियन बोल रहा हूँ........

गत दिनों रात को स्वर्गलोक जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वहाँ जाकर मुझे गेट पर रोक दिया। आप स्वर्ग में नहीं जा सकते। लेकिन आप यहाँ तक पहुँचे कैसे? क्योंकि यहाँ तक आना भी मुश्किल है। बड़ी मान-मनुहार के बाद उसने स्वर्गलोक के राजा इन्द्र से बात करने केलिए वह बड़ी मुश्किल से तैयार हुआ। उसने फोन कनेक्ट करके मुझसे कहा कि लीजिए आप महाराजाधिराज, स्वर्गाधिप​ित इन्द्रदेव से बात करें। इन्द्रदेव ने मुझसे पूछा कि आप कौन बोल रहे हैं तो मैंने कहा मैं रोटेरियन बोल रहा हूँ। इन्द्र ने बड़ी मुस्कान भरी। पहले यह बताओ तुम इस दरवाजे तक कैसे पहुँच पाए हो। क्योंकि इससे पहले आज तक कोई व्यक्ति सीधे स्वर्ग के दरवाजे तक नहीं आया यहाँ आने से पहले सात दरवाजों को परीक्षा से पार करना होता है। तुम ये सात दरवाजे कैसे पार कर गए इसका आंकलन मुझे करना पड़ेगा।

पहला इन्द्र ने अपने सारे यन्त्रों को खोजकर अपनी टी.वी. स्क्रीन पर यह जानने की कोशिश की कि इन सात दरवाजों को पार कर यह रोटेरियन यहाँ तक कैसे पहुँच गया? जब पहले दरवाजे पर रोका गया तब उसके पाप और पुण्य के बहीखातों को देखकर यह लगा कि ये रोटेरियन साथी हैं जिन्होंने कभी कहीं न कहीं किसी न किसी पोलियो बूथ पर जाकर कुछ बच्चों को पोलियो की ड्रोप्स दी थी। अत: उन बच्चों को दी गई दवा की वजह से इनके खाते में कुछ पुण्य जुड़ गया। इन्द्र ने स्वीकार किया कि तब यह पहला दरवाजा पार करने के लायक है। लेकिन दूसरा दरवाजा कैसे पार किया?

दूसरा दरवाजे पर जब देखा कि यह दरवाजा अपने आप कैसे खुला और अपने आप कैसे पार हो गया? तब पता चला कि जो अनपढ़ हैं, बेसहारा हैं, जो साक्षर नहीं हैं उनकी सहायता कर साक्षरता अभियान में इन रोटेरियन साथी ने बहुत सहयोग किया। अत: विद्या दान महादान जैसे संकल्प में कहीं न कहीं इनका योगदान रहा है। यह दान भी इनके खाते में पुण्य की तरह जुड़ गया। इसलिए दूसरा दरवाजा खुल गया।

तीसरा दरवाजा जब इन्द्र ने देखा कि यह कैसे खुला है? तब उस दरवाजे में बहुत सी बातें लिखी गई थी कि इन्होंने अमुक जगह अपने धन का भी दान दिया, किसी सेवा कार्य में सहयोग किया। रोटरी अन्तर्राष्ट्रीय जगत में जिस जिस काम में जितने जितने पैसे चाहिये थे उसमें भी इनका अंशदान था। इस तीसरे दरवाजे में भी इस रोटेरियन के पुण्य को इसके खाते में जोड़ा गया, इसलिए यह तीसरा दरवाजा भी खुल गया।

चौथे दरवाजे पर आकर जब इन्द्र ने फिर अपने मॉनीटर को चैक किया जो यह पता चला कि यह दरवाजा बड़ी मुश्किल से खुलता है। तो फिर यह कैसे खुला? इस व्यक्ति ने ऐसा क्या पुण्य का कार्य किया? तब पता पड़ा कि विकलांगों की सहायता के लिए जो कुछ भी बन पड़ता था उनके लिए रहने की जगह, उनके सोने के लिए बिस्तर या सर के ऊपर छत हो, ऐसे अनेक प्रयत्न इस रोटेरियन साथी ने किए हैं, इसलिए वह चौथा दरवाजा भी अपने आप खुल गया।

पाँचवे दरवाजे तक पहुँचते पहुँचते इन्द्र का माथा भी ठनका कि इस व्यक्ति इतने-इतने काम सब जीवन का आनन्द लेते हुए भी कैसे कर लिये। यह तो पैसे वाला सक्षम आदमी है, मौज-मजे करने वाला आदमी है फिर कैसे स्वर्ग के दरवाजे पर पहुँचा है? यह विचार करते हुए जब पाँचवे दरवाजे पर देखा तो इन्द्र ने भी विचार किया कि इतना भी कोई कर सकता है? यह महसूस किया कि पीडि़त मानवता की सेवा के लिए, कहीं बिमार व्यक्तियों के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन जगह-जगह जब गाँवों में जाकर किया गया तब इस व्यक्ति ने अपने सेवाएँ दी थी। यह पेशे से कोई डॉक्टर है जिसने नि:शुल्क दवाईयाँ दी। वहाँ दवा वितरित करने में अपना योगदान दिया था। उस गरीब व्यक्ति को जिसके आँसू पोछने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए था वह व्यक्ति ज्यादा कुछ न भी कर पाया तो भी उनसे बात कर उनको इस बात का एहसास दिया कि हम तुम्हारे साथ हैं।

छठे दरवाजे पर जब वह पहुँचा तब उसने देखा कि इसका ऐसा कौनसा काम है जिससे इस व्यक्ति के लिए यह छठा दरवाजा भी खुल गया? इन्द्र ने देखा तब पता चला कि न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा के लिए काम किया वरन् अस्पतालों में जाकर बड़ी से बड़ी मशीनें, यहाँ तक कि आईसीयू ऑन व्हील्स और न जाने ऐसी कईं सारी मशीनें जो बिमारियों के ईलाज के लिए आवश्यक होती हैं, वह सब इन रोटेरियन साथियों ने अपने पैसे से योगदान कर के दी। एम्बुलेन्स से लेकर तथा कहीं तो पूरे हॉल की स्थापना रोटरी क्लब ने की तो निश्चित रूप से यह स्वर्ग के छठे दरवाजे तक आने लायक है।

सातवें दरवाजा बड़ा आश्चर्यजनक था क्योंकि यह तो ऐसा अद्भुत काम है, सातवाँ दरवाजा कैसे खुल सकता है? ऐसे काम तो अनेक संस्थाएँ करती हैं लेकिन ऐसा क्या कारण है एम्बुलेन्स से लेकर तथा कहीं तो पूरे हॉल की स्थापना रोटरी क्लब ने की तो निश्चित रूप से यह स्वर्ग के छठे दरवाजे तक आने लायक है।

सातवें दरवाजा बड़ा आश्चर्यजनक था क्योंकि यह तो ऐसा अद्भुत काम है, सातवाँ दरवाजा कैसे खुल सकता है? ऐसे काम तो अनेक संस्थाएँ करती हैं लेकिन ऐसा क्या कारण है  कि यहाँ सातवाँ दरवाजा भी खुल गया? तब पता चला सातवे दरवाजे को उस स्क्रीन पर जब इन्द्र ने देखा तो देखा कि ये वो रोटेरियन साथी हैं जिन्होंने नारी के सम्मान के लिए अनेक काम किए, महिलाओं के उन्नयन के लिए कन्या भू्रण हत्या जैसे जघन्य अपराध को रोकने के लिए इन्होंने अपना योगदान दिया है। इसीलिए यह सातवा दरवाजा खुला है। ݍݍयत्र पूजयन्ते नारी तत्र रमन्ते देवता’’।

तो रोटेरियन साथियों, देखा आपने! स्वर्ग के दरवाजे के यदि सात दरवाजों को पार करना है तो रोटरी के प्रत्येक काम में सहयोग प्रदान करते चले जाएँ। स्वर्ग के सातों दरवाजे आपके लिए सदा खुलेंगे।

मैं स्वर्ग की सैर करके लौट आया हूँ। इसे स्वर्गवासी न समझे केवल स्वर्ग की सैर के एक माध्यम इस स्वर्ग की सैर की साहि​ित्यक यात्रा इस कृ​ित के माध्यम से आप तक पहुँचा रहा हूँ।
आओ स्वर्ग की ओर एक कदम बढ़ायें.......

Alok School Students Two Days Tracking Tour at Sajjangarh Nature Park, Parshuram Mahadev - Ranakpur

आलोक सीनियर सैकण्डरी स्कूल, हिरण मगरी, उदयपुर
दो दिवसीय टे्रेकिंग कार्यक्रम सम्पन्न
प्रकृ​ित दर्शन से और पहाड़ो पर चढ़कर अभिभूत हुये छात्र

उदयपुर, 16 जनवरी।  आलोक स्कूल, हिरण मगरी सेक्टर - 11 के छात्र-छात्राओं द्वारा 2 दिवसीय वन भ्रमण (टे्रकिंग) कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। पहले दिन छात्र-छात्राओं ने सज्जनगढ़ अभ्यारण्य, सीसारमा के कालका माता मन्दिर तथा दूसरे दिन परशुराम महादेव रणकपुर में वन भ्रमण (टे्रकिंग) किया।
इस अवसर पर 320 छात्र-छात्राओं ने प्रकृ​ित को नजदीक से देखा एवं पहाड़ पर चढ़ाई की। इस वन भ्रमण छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रजा​ितयों के पेड़, पौधों तथा प्राकृ​ितक दृश्यों को नज़दीकी से निहारा व इसके सम्बन्ध में अध्यापकों द्वारा जानकारी दी गई। 
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने छात्र, छात्राओं को वन भ्रमण कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रकृ​ित से प्रेमभाव रखने का आह्वान किया।
उप प्राचार्य ाशांक टांक ने बताया कि इस प्रकार के वनभ्रमण कार्यक्रमों से छात्रों में प्रकृ​ित के प्र​ित प्रेम जाग्रत होगा तथा वे विभिन्न वनस्प​ितयों, पेड़, पौधों के बारे में भी जानकारी ग्रहण कर सकें इस उद्देश्य से इस प्रकार के कार्यक्रम विद्यालय द्वारा प्र​ितवर्ष आयोजित किए जाते हैं। 
इस अवसर पर ाारीरिक शिक्षक राजेश भारती, नवीन चौबीसा, दीपक चौबीसा, गुलजारीलाल नागदा, राजेश कुमावत, पायल कुमावत, मोहन नागदा, हेमेन्द्र सिंह चुण्डावत ने सहयोग दिया। 

Makar Sankrantie with Little Kids Alok School Udaipur