Dr. Pradeep Kumwat

Dr. Pradeep Kumwat

Tuesday, 29 April 2014

Story about Butterfly Life..............

एक बार एक आदमी को अपने हंतकमद में
टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक
तितली का कोकून दिखाई पड़ाण् अब हर रोज़
वो आदमी उसे देखने लगा ए और एक दिन उसने
दवजपबम किया कि उस कोकून में एक
छोटा सा छेद बन गया हैण् उस दिन वो वहीँ बैठ
गया और घंटो उसे देखता रहाण् उसने
देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने
की बहुत कोशिश कर रही है ए पर बहुत देर तक
प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से
नहीं निकल पायी ए और फिर वो बिलकुल शांत
हो गयी मानो उसने हार मान ली होण्
इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस
तितली की मदद करेगाण् उसने एक
कैंची उठायी और कोकून की वचमदपदह
को इतना बड़ा कर
दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल
सकेण् और यही हुआए तितली बिना किसी और
संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आईए पर
उसका शरीर सूजा हुआ थाएऔर पंख सूखे हुए थेण्
वो आदमी तितली को ये सोच कर
देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख
फैला कर उड़ने लगेगीए पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआण्
इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई
और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर.उधर
घिसटते हुए बीतानी पड़ीण्
वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये
नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने
की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए
बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में
मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके और वो छेद
से बाहर निकलते ही उड़ सकेण्
वास्तव में कभी.कभी हमारे जीवन में संघर्ष
ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच
आवश्यकता होती हैण् यदि हम
बिना किसी ेजतनहहसम के सब कुछ पाने लगे
तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगेण्
बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने
मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता हैण्
इसलिए जीवन में आने वाले कठिन
पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये
वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे
जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को चवेेपइसम बना पायेंगेण्
जय भारत

Poem......................Kavita.........

आज एक सुन्दर कविता पढ़ने को मिली चाहूँगा कि आप भी इसका आनन्द लें !
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चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चाँद निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कल्पना है की चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं आइये देखते हैं ।
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जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने करा है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।


तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।


जिस वक़्त याद में सीता की ए
तुम चुपके . चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ए
हम ही जागते होते थे ।


संजीवनी लाऊंगा ए
लखन को बचाऊंगा एण्
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त
मगर अपनी चांदनी बिखरा करए
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।


रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।


सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया घ्

अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मानते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं ए चिड़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।

तो राम ने कहाए क्यों व्यर्थ में घबराता है घ्
जो कुछ खोता है वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढाएंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ए
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे ।

जय श्री राम!!!

Thursday, 3 April 2014

Nav Varsh Apni Pagdi Samaharoh by Alok Sansthan


NavVarsh Ki Tayariya


नव सम्वतसर की शुभकामनाए

पराभव सम्वत् के वैभव को दिल में सजायें, 
उत्कर्ष की टहनी, नीम की कोपलें सजायें, 
मिश्री से मिटठे प्लवंग का कर रहे है स्वागत, 
नूतन वर्ष हो शुभ ये ही आगे का स्वागत, 
नीज पर गर्व विक्रम सम्वत 2071 का स्वागत। 
नव सम्वतसर की शुभकामनाए

Dasha Mata Wishes......

जो जीवन की दशा को सदा ठीक कर 
परिवार मे शान्ति की आशिष दे वही 
दशा माता सबको आशिष दे, शीतलता 
सहज गुण बने यहीं माँ कि सीख।
हेप्पी दशा माता
सुप्रभात 
जय श्री कृष्ण  

Aatma Pavitra he...

आत्मा सदा पवित्र है, शरीर मरण धर्म है। 
सुख दुख सब शरीर की अनुभूति है। 
आत्मा तो सदा ही  आनन्द मे है। 
आत्मा को जानिये स्वय़ं को जान जाऐगे।
आत्म दीपौ भवः ।। 

Tuesday, 25 March 2014

Holi Message with Wishesh

Baj rahi chang ghoome

Mastano ki toli hai

Kanha sang ghoome

Gwalan ki tori hai

Har angan ud rahi gulal

Kanha radha se kare
Thitori hai

Bhar bhar peechakari

Maarey kanha
Bhegey ang ang
Chad rahi khumari hai

Aao doobey prem k rang me

Bhuley janjat maley
Rang 
Milan ki ho hori hai

Pradeep de raha rango

Ki sougat
Bane har ladki radha
Kanha hua har ladka
Brij me aaj anokhi
Hori hai

Galey mile bhuley sab 

Raag dwesh 
Alhad ho khumari me
Kho jaaye

Ki aaj jivan me bhrey sab rang

Aaj ho ho hori hai

Message Today [Atma Pavitrata]

आत्मा सदा पवित्र है, शरीर मरण धर्म है। सुख दुख सब शरीर की अनुभूति है। आत्मा तो सदा ही  आनन्द मे है। आत्मा को जानिये स्वय़ं को जान जाऐगे।आत्म दीपौ भवः ।।