Dr. Pradeep Kumwat
Wednesday, 24 December 2014
Gyanaparn Abhiyan
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Monday, 29 September 2014
Tuesday, 16 September 2014
Prithvi Diwas
आलोक सीनियर सैकण्डरी स्कूल, हिरण मगरी, उदयपुर
तीन दिवसीय पृथ्वी उत्सव का आगाज़
पूर्व संध्या पर सजाई रंगोली, पोस्टर प्रदर्षनी, ली षपथ
उदयपुर, 21 अप्रैल। तीन दिवसीय पृथ्वी दिवस उत्सव का आग़ाज आज स्थानीय गणगौर घाट पर आलोक इन्टरेक्ट क्लब और आलोक हिरण मगरी के छात्र, छात्राओं द्वारा रंगोली सजाकर तथा 101 पोस्टरों की प्रदर्षनी लगाकर संस्थान के निदेषक डाॅ. प्रदीप कुमावत ने विधिवत अनावरण कर तीन दिवसीय उत्सव का आगाज़ किया।
इस अवसर पर पेसिफिक काॅलेज के 12 डाॅक्टरों ने भी इस अवसर पर उपस्थिति देकर विष्व पर्यावरण दिवस के लिए जन-जन में जागरूकता लाने की दृश्टि से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर डाॅ. प्रदीप कुमावत ने उपस्थित नागरिकों, छात्र, छात्राओं व अध्यापकों को पर्यावरण संरक्षक की दृश्टि से षपथ दिलाई तथा आग्रह किया कि वे पृथ्वी को पर्यावरण प्रदूशण से बचाने के लिए संकल्प लें, पेड़ लगाएं, पाॅलिथीन का इस्तेमाल न करें, कचरा यहाँ-वहाँ न फेंकें, वर्शाजल संरक्षण करें तथा वाहन का कम से कम प्रयोग करें। ऐसे संकल्प सभी को दिलवाकर पर्यावरण के प्रति जनचेतना जगाने का कार्य किया।
इस अवसर पर 100 पोस्टरों की प्रतियोगिता का आयोजन कर उनकी प्रदर्षनी भी गणगौर घाट पर लगाई गई। जिसे वहाँ कईं लोगों ने देखा व सराहा। वहाँ पर छात्राओं द्वारा रंगोली भी सजाई गई।
पृथ्वी दिवस मंगलवार को संस्थान के छात्र पृथ्वी दिवस पर्यावरण जनचेतना रैली में छात्र, छात्राएँ भाग लेंगे तथा तीसरे दिन जनचेतना जगाने की दृश्टि से ‘हरित संकल्प’ कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमें छात्र, छात्राएं एक पेड़ लगाने का संकल्प लेंगे तथा एक पेड़ अन्य व्यक्ति को लगाने हेतु प्रेरित करने का भी संकल्प लेंगे तथा संकल्प पत्र भरकर देंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. प्रदीप कुमावत ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी को हमें विभिन्न प्रदूशणों से बचाने के लिए हमें संकल्पित होना पड़ेगा। ग्रीन हाऊस तथा ओजोन परत में बढ़ रहे छेद हम सबके लिए चिन्ता का विशय है। हम सभी को पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ों को लगाना पड़ेगा। वर्शाजल संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर हम सबको तैयारी करनी होगी तथा पाॅलिथीन का कम से कम इस्तेमाल कर ऐसे कईं संकल्पों को हमें दोहराना पड़ेगा जिन माध्यम से हम इस पृथ्वी ग्रह को बचा सकें। सभी ने संकल्प लिया तथा प्रदर्षनी गणगौर घाट पर पूरे दिन लगी रही।
तीन दिवसीय पृथ्वी उत्सव का आगाज़
पूर्व संध्या पर सजाई रंगोली, पोस्टर प्रदर्षनी, ली षपथ
उदयपुर, 21 अप्रैल। तीन दिवसीय पृथ्वी दिवस उत्सव का आग़ाज आज स्थानीय गणगौर घाट पर आलोक इन्टरेक्ट क्लब और आलोक हिरण मगरी के छात्र, छात्राओं द्वारा रंगोली सजाकर तथा 101 पोस्टरों की प्रदर्षनी लगाकर संस्थान के निदेषक डाॅ. प्रदीप कुमावत ने विधिवत अनावरण कर तीन दिवसीय उत्सव का आगाज़ किया।
इस अवसर पर पेसिफिक काॅलेज के 12 डाॅक्टरों ने भी इस अवसर पर उपस्थिति देकर विष्व पर्यावरण दिवस के लिए जन-जन में जागरूकता लाने की दृश्टि से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर डाॅ. प्रदीप कुमावत ने उपस्थित नागरिकों, छात्र, छात्राओं व अध्यापकों को पर्यावरण संरक्षक की दृश्टि से षपथ दिलाई तथा आग्रह किया कि वे पृथ्वी को पर्यावरण प्रदूशण से बचाने के लिए संकल्प लें, पेड़ लगाएं, पाॅलिथीन का इस्तेमाल न करें, कचरा यहाँ-वहाँ न फेंकें, वर्शाजल संरक्षण करें तथा वाहन का कम से कम प्रयोग करें। ऐसे संकल्प सभी को दिलवाकर पर्यावरण के प्रति जनचेतना जगाने का कार्य किया।
इस अवसर पर 100 पोस्टरों की प्रतियोगिता का आयोजन कर उनकी प्रदर्षनी भी गणगौर घाट पर लगाई गई। जिसे वहाँ कईं लोगों ने देखा व सराहा। वहाँ पर छात्राओं द्वारा रंगोली भी सजाई गई।
पृथ्वी दिवस मंगलवार को संस्थान के छात्र पृथ्वी दिवस पर्यावरण जनचेतना रैली में छात्र, छात्राएँ भाग लेंगे तथा तीसरे दिन जनचेतना जगाने की दृश्टि से ‘हरित संकल्प’ कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमें छात्र, छात्राएं एक पेड़ लगाने का संकल्प लेंगे तथा एक पेड़ अन्य व्यक्ति को लगाने हेतु प्रेरित करने का भी संकल्प लेंगे तथा संकल्प पत्र भरकर देंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. प्रदीप कुमावत ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी को हमें विभिन्न प्रदूशणों से बचाने के लिए हमें संकल्पित होना पड़ेगा। ग्रीन हाऊस तथा ओजोन परत में बढ़ रहे छेद हम सबके लिए चिन्ता का विशय है। हम सभी को पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ों को लगाना पड़ेगा। वर्शाजल संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर हम सबको तैयारी करनी होगी तथा पाॅलिथीन का कम से कम इस्तेमाल कर ऐसे कईं संकल्पों को हमें दोहराना पड़ेगा जिन माध्यम से हम इस पृथ्वी ग्रह को बचा सकें। सभी ने संकल्प लिया तथा प्रदर्षनी गणगौर घाट पर पूरे दिन लगी रही।
Narendra Modi Presentation News
आलोक सीनियर सैकण्डरी स्कूल, हिरण मगरी, सेक्टर-11, उदयपुर , 10 सितम्बर, 2014,
सादर प्रकाषनार्थ
नरेन्द्र मोदी के जीवन से छात्रों ने सीखे 25 जीवन मूल्य ||
षिक्षक दिवस, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जीवन मूल्य विशय पर एक मुक्त विष्लेशणः भव्य कार्यक्रम सम्पन्न ||
मोदी में अन्तर्राश्ट्रीय नेतृत्व करने की प्रबल क्षमता निर्लिप्तता सफलता का मूल : डाॅ. कुमावत
सादर प्रकाषनार्थ
नरेन्द्र मोदी के जीवन से छात्रों ने सीखे 25 जीवन मूल्य ||
षिक्षक दिवस, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जीवन मूल्य विशय पर एक मुक्त विष्लेशणः भव्य कार्यक्रम सम्पन्न ||
मोदी में अन्तर्राश्ट्रीय नेतृत्व करने की प्रबल क्षमता निर्लिप्तता सफलता का मूल : डाॅ. कुमावत
उदयपुर, 10 सित.। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन से 25 मूल्य छात्रों को सीखने को मिलते है। अपना काम स्वयं करें, बचपन नहीं खोएँ-जीएँ, साहसी, निडर, सहभागिता, स्वच्छता, अभावों में भी सहज जीवन जीना, निश्ठावान, अनुषासन, कर्मषीलता, जैसे मूल्यों पर विषुद्ध चर्चा करते हुए आलोक संस्थान के व्यास सभागार में छात्र, छात्राओं और गणमान्य अतिथियों के बीच अपने पावरपोईंट प्रजेन्टेषन के माध्यम से एक घण्टे तक डाॅ. प्रदीप कुमावत ने नरेन्द्र मोदी के जीवन पर विस्तृत प्रकाष डालते हुए उनके नेतृत्व षैली में जो जीवन मूल्य परिलक्षित होते हैं उनका प्रभावी ढंग से विष्लेशण कर छात्रों के बीच में डाॅ. कुमावत ने एक नवाचार के रूप में इस कार्यक्रम में प्रस्तुत किये।
डाॅ. कुमावत ने कहा कि नरेन्द्र मोदी बचपन से ही श्रमषीलता के प्रति समर्पित व्यक्तित्व, एक ऐसा व्यक्ति जो न सिर्फ चाय बेचता था वरन् निर्लिप्त भाव से जिसने अपने परिवार में रहते हुए भी अपने आपको सदैव संन्यासी जैसा ही बनाकर रखा और अन्ततोगत्वा अपनी महत्वाकांक्षाओं को छोड़कर सतत् कर्म करने की अपनी अदम्य कर्मषक्ति को निरन्तर प्रज्ज्वलित रखा। राजनीतिक यात्रा के साथ-साथ उन्होंने अपने जीवन में नैसर्गिक गुणों का विकास अपने बचपन में साहसिक गतिविधियों के माध्यम से राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के नाते उनमें स्वतः विकसित होते चले गए।
डाॅ. कुमावत ने कहा कि छात्रों को आज श्रम के प्रति जो सीख नरेन्द्र मोदी ने दी वो निष्चित रूप से अपने घरों को साफ रखने, अपने षौचालयों को साफ करने से षुरू करना चाहिए। कोई काम न छोटा होता है न बड़ा। कर्म सदैव उन्नति की ओर ले जाता है और यह बात जिन छात्रों को समझ आ जाती है वे निष्चित रूप से जीवन में कभी धोखा नहीं खाते।
डाॅ. कुमावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि जो व्यक्ति अभावों में जीता है वही व्यक्ति अन्ततोगत्वा जीतता है क्योंकि गरीबी बचपन में अभिषाप नहीं होती वरन् वरदान साबित होती है क्योंकि पैसा नहीं होता है तो व्यक्ति अपने कर्म के माध्यम से नए मार्गों की खोज कर लेता है, यही बात नरेन्द्र मोदी के जीवन से हमें दिखती है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने बच्चों के बचपन खोने की बात नहीं कही, बच्चों से तो उनका बचपन छीनना ही नहीं चाहिए वरन् हर आदमी के अन्दर का बच्चा जि़न्दा रहना चाहिए। जि़न्दा रहने का मतलब है जहाँ स्वार्थ नहीं है, जहाँ भय नहीं है, जहाँ मुक्तता है वहाँ सदैव इन्सान के अन्दर का बच्चा जीवित रहता है।
डाॅ. कुमावत ने नरेन्द्र मोदी के जीवन मूल्यों को उनके भाशणों से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि किसी प्रकार नरेन्द्र मोदी ने अपने भाशण से छात्रों से सीधे संवाद किये उनसे ये 25 मूल्य स्वतः प्रकट हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने काम स्वयं करते हैं वो कार्य चाहे चाय बनाने का हो या दुकान में हाथ बटाने का हो, यह उन्होंने गुड गवर्नेन्स के फोर्मूले को अपने बचपन में ही सीख लिया था। एक ऐसा राजनीतिक पुरुश जिसने देष के सर्वोच्च पद को प्राप्त किया लेकिन जिसने अपने जीवन में कभी किसी राजनीतिक को अपना आदर्ष न मानकर स्वामी विवेकानन्द को आदर्ष माना। इस बात से यह परिलक्षित होता है कि स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रेरित होकर नरेन्द्र मोदी अपने अन्दर के संन्यासी को जीवित रखना चाहते हैं और यही वजह है कि आज सारा देष ही नहीं सारा विष्व उनको सम्मान की दृश्टि से देखता है।
उन्होंने कहा कि बचपन से ही एक आयोजक बुद्धि विद्यालय में जिस व्यक्ति ने मेले में स्टाॅल लगाकर दीवार बना दी हो। वडनगर में ताना-रीरी जैसी बहनों के त्याग और बलिदान नरेन्द्र मोदी अपने अन्दर स्वाभिमान को जि़न्दा रख पाए। आज उसी स्वाभिमान के साथ वो कहते हैं कि वड़नगर का स्वाभिमान उनमें आज भी जि़न्दा है। उन्होंने कहा कि मैं दुनिया में हूँ लेकिन दुनिया का तलबदार नहीं हूँ। विरक्त भाव से नरेन्द्र मोदी आज भी न सिर्फ भारत को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं धीरे-धीरे वो विष्व नेतृत्व प्रदान करने की ओर बढ़ रहे हैं।
डाॅ. कुमावत ने उनके द्वारा दिए गए सम्बोधन से 25 जीवन मूल्यों को सिखाया। उन्होंने कहा कि राश्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवक के नाते जिस तरह नरेन्द्र मोदी संघ कार्यालय में झाडू लगाने का काम भी करते थे यह उनके जीवन की श्रमषीलता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ‘मैं कौन हूं’ के विशय को निष्चित रूप से हर व्यक्ति से सीधा जुड़ा हुआ है। जब व्यक्ति यह जान लेता है कि ‘मैं कौन हूं’ तो उसे फिर कुछ जानने की आवष्यकता नहीं रह जाती है। लेकिन ‘मैं कौन हूं’ की यात्रा ही अन्ततोगत्वा एक मनुश्य की यात्रा है। उन्होंने नरेन्द्र मोदी के कड़े अनुषासन और इसकी वजह से उनके कड़े निर्णय लेने की उनकी आज की सरकार में जो प्रतिबद्वता दिखती है वो निष्चित रूप से उनके इसी गुणों का परिणाम है।
नरेन्द्र मोदी दो यात्राओं के सूत्रधार होने के कारण सोमनाथ से अयोध्या यात्रा और एकता यात्रा से नरेन्द्र मोदी की राश्ट्रीय छवि बनी। लेकिन वह व्यक्ति जो कभी विधायक नहीं रहा और मुख्यमन्त्री बन गया और कभी संसद की सीढि़यां नहीं चढ़ा वह पहली ही बार में प्रधानमन्त्री बन गया, ऐसा बिरला उदाहरण उनके नैसर्गिक गुणों के कारण जो बचपन में षायद उनकी माँ, राश्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और वड़नगर जमीन से उठकर जो उन्होंने सीखा, उसने इस मुकाम तक पहुंचाया। उनके धर्म पिता लक्ष्मण ईनामदार की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
नरेन्द्र मोदी के बारे में डाॅ. कुमावत ने कहा कि उनके कोई मित्र नहीं लेकिन सभी को वो मित्र मानते हैं, वो हमेषा आॅटो पायलेट मोड में रहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं एकाकी हूँ, विरक्त हूँ, मुझे किसी से कोई अपेक्षा नहीं और जब मुझे किसी से कोई अपेक्षा नहीं तो मेरे कोई नज़दीक भी नहीं, क्योंकि मैं भी उनकी व्यक्तिगत अपेक्षाओं को पूरा नहीं करता और मैं किसी से अपेक्षा नहीं रखता क्योंकि मेरी कोई व्यक्तिगत अपेक्षा है ही नहीं। डिजिटल कैमरों के षौकीन, काॅल आॅफ वेली जैसे संगीत सुनने वाले और किषोर कुमार के गाने सुनने वाले नरेन्द्र मोदी कपड़ों के भी षौक़ीन हैं, वे कहते हैं कि व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को सदैव अच्छा बनाए रखना चाहिए और दिखने में भी वो अच्छा लगे, यह उनकी विषेशताओं में एक है।
नरेन्द्र मोदी वैज्ञानिक दृश्टिकोण लेकर चलने वाले हैं और भारतीय संस्कृति और परम्पराओं का निष्चित रूप से सम्मान किया जाना चाहिए। यह मोदी का कहना है। छात्रों को अपने गुरुओं के सम्मान के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर प्रजेन्टेषन के माध्यम से डाॅ. प्रदीप कुमावत ने प्रस्तुतीकरण दिया। एच डी प्रोजेक्टरव एलसीडी के साथ मल्टीमीडिया के माध्यम से दिये प्रभावी प्रस्तुतीकरण ने छात्रों को मंत्र मुग्ध कर दिया तथा उपस्थिति लोगों ने सराहना की। इसे यू ट्यूब पर भी अपलोड किया जाएगा।
इस अवसर पर विषिश्ट अतिथियों में समाजसेवी दिनेष भट्ट, उम्मेद सिंह चैहान, निष्चय कुमावत, षषांक टांक, अनिल पालीवाल सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में आलोक हिरण मगरी के उप प्राचार्य षषांक टांक ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
Friday, 2 May 2014
Plant your seed n Be a Winner
Prtyek Manushya Pratibha ko lekar
hi paida hota hai fark yahi hai kisi ke beej
Vriksh ho jata hai kisi ka samapan
beej me hi jo jata ha.....
|| Plant your seed n Be a Winner ||
Tuesday, 29 April 2014
Story about Butterfly Life..............
एक बार एक आदमी को अपने हंतकमद में
टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक
तितली का कोकून दिखाई पड़ाण् अब हर रोज़
वो आदमी उसे देखने लगा ए और एक दिन उसने
दवजपबम किया कि उस कोकून में एक
छोटा सा छेद बन गया हैण् उस दिन वो वहीँ बैठ
गया और घंटो उसे देखता रहाण् उसने
देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने
की बहुत कोशिश कर रही है ए पर बहुत देर तक
प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से
नहीं निकल पायी ए और फिर वो बिलकुल शांत
हो गयी मानो उसने हार मान ली होण्
इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस
तितली की मदद करेगाण् उसने एक
कैंची उठायी और कोकून की वचमदपदह
को इतना बड़ा कर
दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल
सकेण् और यही हुआए तितली बिना किसी और
संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आईए पर
उसका शरीर सूजा हुआ थाएऔर पंख सूखे हुए थेण्
वो आदमी तितली को ये सोच कर
देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख
फैला कर उड़ने लगेगीए पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआण्
इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई
और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर.उधर
घिसटते हुए बीतानी पड़ीण्
वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये
नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने
की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए
बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में
मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके और वो छेद
से बाहर निकलते ही उड़ सकेण्
वास्तव में कभी.कभी हमारे जीवन में संघर्ष
ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच
आवश्यकता होती हैण् यदि हम
बिना किसी ेजतनहहसम के सब कुछ पाने लगे
तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगेण्
बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने
मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता हैण्
इसलिए जीवन में आने वाले कठिन
पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये
वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे
जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को चवेेपइसम बना पायेंगेण्
जय भारत
टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक
तितली का कोकून दिखाई पड़ाण् अब हर रोज़
वो आदमी उसे देखने लगा ए और एक दिन उसने
दवजपबम किया कि उस कोकून में एक
छोटा सा छेद बन गया हैण् उस दिन वो वहीँ बैठ
गया और घंटो उसे देखता रहाण् उसने
देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने
की बहुत कोशिश कर रही है ए पर बहुत देर तक
प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से
नहीं निकल पायी ए और फिर वो बिलकुल शांत
हो गयी मानो उसने हार मान ली होण्
इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस
तितली की मदद करेगाण् उसने एक
कैंची उठायी और कोकून की वचमदपदह
को इतना बड़ा कर
दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल
सकेण् और यही हुआए तितली बिना किसी और
संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आईए पर
उसका शरीर सूजा हुआ थाएऔर पंख सूखे हुए थेण्
वो आदमी तितली को ये सोच कर
देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख
फैला कर उड़ने लगेगीए पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआण्
इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई
और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर.उधर
घिसटते हुए बीतानी पड़ीण्
वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये
नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने
की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए
बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में
मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके और वो छेद
से बाहर निकलते ही उड़ सकेण्
वास्तव में कभी.कभी हमारे जीवन में संघर्ष
ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच
आवश्यकता होती हैण् यदि हम
बिना किसी ेजतनहहसम के सब कुछ पाने लगे
तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगेण्
बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने
मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता हैण्
इसलिए जीवन में आने वाले कठिन
पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये
वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे
जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को चवेेपइसम बना पायेंगेण्
जय भारत
Poem......................Kavita.........
आज एक सुन्दर कविता पढ़ने को मिली चाहूँगा कि आप भी इसका आनन्द लें !
’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’
चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चाँद निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कल्पना है की चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं आइये देखते हैं ।
’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’
जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने करा है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।
तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।
जिस वक़्त याद में सीता की ए
तुम चुपके . चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ए
हम ही जागते होते थे ।
संजीवनी लाऊंगा ए
लखन को बचाऊंगा एण्
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त
मगर अपनी चांदनी बिखरा करए
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।
रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।
सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया घ्
अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मानते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं ए चिड़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।
तो राम ने कहाए क्यों व्यर्थ में घबराता है घ्
जो कुछ खोता है वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढाएंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ए
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे ।
जय श्री राम!!!
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चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चाँद निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कल्पना है की चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं आइये देखते हैं ।
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जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने करा है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।
तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।
जिस वक़्त याद में सीता की ए
तुम चुपके . चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ए
हम ही जागते होते थे ।
संजीवनी लाऊंगा ए
लखन को बचाऊंगा एण्
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त
मगर अपनी चांदनी बिखरा करए
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।
रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।
सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया घ्
अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मानते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं ए चिड़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।
तो राम ने कहाए क्यों व्यर्थ में घबराता है घ्
जो कुछ खोता है वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढाएंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ए
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे ।
जय श्री राम!!!
Saturday, 19 April 2014
Thursday, 3 April 2014
नव सम्वतसर की शुभकामनाए
पराभव सम्वत् के वैभव को दिल में सजायें,
उत्कर्ष की टहनी, नीम की कोपलें सजायें,
मिश्री से मिटठे प्लवंग का कर रहे है स्वागत,
नूतन वर्ष हो शुभ ये ही आगे का स्वागत,
नीज पर गर्व विक्रम सम्वत 2071 का स्वागत।
नव सम्वतसर की शुभकामनाए
Dasha Mata Wishes......
जो जीवन की दशा को सदा ठीक कर
परिवार मे शान्ति की आशिष दे वही
दशा माता सबको आशिष दे, शीतलता
सहज गुण बने यहीं माँ कि सीख।
हेप्पी दशा माता
सुप्रभात
जय श्री कृष्ण
Aatma Pavitra he...
आत्मा सदा पवित्र है, शरीर मरण धर्म है।
सुख दुख सब शरीर की अनुभूति है।
आत्मा तो सदा ही आनन्द मे है।
आत्मा को जानिये स्वय़ं को जान जाऐगे।
आत्म दीपौ भवः ।।
Tuesday, 25 March 2014
Holi Message with Wishesh
Baj rahi chang ghoome
Mastano ki toli hai
Kanha sang ghoome
Gwalan ki tori hai
Har angan ud rahi gulal
Kanha radha se kare
Thitori hai
Bhar bhar peechakari
Maarey kanha
Bhegey ang ang
Chad rahi khumari hai
Aao doobey prem k rang me
Bhuley janjat maley
Rang
Milan ki ho hori hai
Pradeep de raha rango
Ki sougat
Bane har ladki radha
Kanha hua har ladka
Brij me aaj anokhi
Hori hai
Galey mile bhuley sab
Raag dwesh
Alhad ho khumari me
Kho jaaye
Ki aaj jivan me bhrey sab rang
K
Aaj ho ho hori hai
Message Today [Atma Pavitrata]
आत्मा सदा पवित्र है, शरीर मरण धर्म है। सुख दुख सब शरीर की अनुभूति है। आत्मा तो सदा ही आनन्द मे है। आत्मा को जानिये स्वय़ं को जान जाऐगे।आत्म दीपौ भवः ।।
Tuesday, 18 February 2014
Jeevan Me Behtar Rasto Ki Khoj
Jivan me behtar rasto ki khoj bemaani hai kyoki oonchai par jaane k liye koi pagdandiya nahi hoti we swath chalney matr se ban jaati hai..dont search the path make it your own...
Insaan Ke Roop
Ek insaan k roop yadi aap purn
hai to fir apne aap ko kahi bhi
sabit karne ki awaysakta nahi hoti ..
Kuch na ban sake sacche insaan ban sake yahi prathna
Jeevan Ki Pareshaniya
Jivan me pareshaniya kuch bh
nahi awasar matr hoti hai jo
samdhaan lene k lye budhimaan
aadm k intzaar me rahti hai........
|| Face the hurdles convert into solutions.........kick start your week ||
Ishwar Ka Uddesya
Ishwar ne hame mahaan uddesya
ki purti k liye yaha bheja hai isliye
wo krya kariye jisse ishwar prasann
ho or hum manviye mulyo ko parpt
kar oos uddeshya ki purti kar sake
jiske nimitt hum aaye hai ..
Sunday, 16 February 2014
Benaam Sa Dard................
Benam Sa he Dard Per
Nazar Kyu nahi aata, Hai Khushi sirf Chehare Per Uske
Chupa Kyu Nahi Pata.
Rate aksar Akela Chod Deti Hai Insaan Ko.
Wo Bhid me Hai Tanhaa
Dikha Kyu Nahi Pata
Mukadar ke Sikandar Hai Log Wo Mushkilo
Se LAd Kyu Nahi Pata
Wo Takdir ka Likha
Khub Jee Leta hai Per
Apne Hatho Ki Lakeero Ko
Pad Kyu Nahi Pata
Hai Dariya Sa Dil Uska
Per Dard me Bah Kyu Nahi Pata
Jate Hue Suraj Ko Dekh
Aankhe Bhi hui Uski Nam
Wo Raat Ke Sine Se Dard Chupa Kyu NAhi Pata
Jinda Hai Wo Saksh
Misaal Ban nazro me Jahan Ki
Me Janta hu per Wo khul ke Khud Ke Liye Jee Nahi Pata.
Vyakti Ki Pahchaan
Kisi Vyakti ko Parakhana ho to
Use Uske Acche Samay me Nahi
Kathin Waqt Me Parakhana wo Jis
Tarah React Kare Wahi Uska Asli Vyaktitv Hai
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